दोस्ती शब्द से ही एक पवित्र रिश्ते का एहसास होता है अगर आप दोस्ती के वास्तविक अर्थ से अवगत है और अपनी दोस्ती को पूरे विश्वास,निष्ठां व वफादारी से निभाने की क्षमता रखते हैं तब ही आपको दोस्ती के लिए अपने हाथ बढ़ाने चाहिए.वरना यह कहकर संतोष कर लीजिए कि-"दुनिया में राज-ए-दिल,दोस्ती करते तो हम किससे.मिलते ही नहीं,जहाँ में हमारे ख्याल के" आपके लिए यह ब्लॉग "सच्चा दोस्त" एक "पवित्र दोस्ती" का दायरा बढ़ाने की कोशिश के साथ ही अच्छे व बुरे अनुभवों को व्यक्त करता है.
Sunday, March 27, 2011
Saturday, March 26, 2011
मनोवैज्ञानिक पाठ का अनुवाद
मनोवैज्ञानिक पाठ का अनुवाद
डा.नीरजा गुर्रम्कोंडा !
साहित्येतर पाठ का अनुवाद करते समय अनुवादक को जिन समस्याओं का सामना करना पड़ता है वे साहित्यिक पाठ के अनुवाद की समस्याओं से कई अर्थों में भिन्न होती हैं. हम जनते हैं कि साहित्यिक पाठ में अनेक प्रकार की समाज-सांस्कृतिक अर्थ छवियाँ और शैलीगत विशेषताएँ निहित होती हैं जिनसे जूझे बिना उसका अनुवाद नहीं हो सकता. साहित्येतर पाठ के अनुवादक के समक्ष ये चुनौतियाँ तो नहीं होती परंतु इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि उसे सबसे पहले विषय के ज्ञान की चुनौती का सामना करना पड़ता है. इसके अतिरिक्त साहित्येतर पाठ का स्वरूप तकनीकी भाषा से निर्मित होता है, अतः स्रोत भाषा की प्रयुक्ति के समकक्ष लक्ष्य भाषा में प्रयुक्ति की तलाश साहित्येतर पाठ के अनुवाद की मुख्य चिंता होती है. यदि मनोवैज्ञानिक पाठ के संदर्भ में बात करें तो कहना होगा कि (1) अनुवादक को मनोविज्ञान ‘विषय ’ की सामन्य जानकारी होनी चाहिए तथा (2) मनोविज्ञान की भाषा (प्रयुक्ति) पर आधिकार तो अनिवार्य है ही.
वस्तुतः अनुवाद दो भाषाओं के मध्य घटित होनेवाला संप्रेषण व्यापार है. आज अनेक क्षेत्रों में यह व्यापार अनिवार्य हो गया है. यह भी कहा जा सकता है कि जहाँ भाषा है वहाँ अनुवाद भी स्वतः निहित है. अनुवाद ‘अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान ’ (Applied Linguistics) का एक अंग है. अतः मनोभाषाविज्ञान (Psycholinguistics) के क्षेत्र में भी अनुवाद का महत्वपूर्ण योगदान है. सामान्यतः अनुवाद में स्रोत भाषा की संपूर्ण सामग्री का लक्ष्य भाषा के समतुल्य शब्दों में प्रतिस्थापित नहीं होता. ‘समतुल्य शब्दों को खोज निकालना ’ ही अनुवाद कार्य की प्रमुख समस्या है.
मनोविज्ञान एक विशिष्ट प्रयुक्ति क्षेत्र है. भाषाविज्ञान और मनोविज्ञान का बहुत गहरा संबंध है. विचारों का सीधा संबंध मस्तिष्क तथा मनोविज्ञान से है. मानसिक गुत्थियों एवं ग्रंथियों का पता लगाने व उन्हें सुलझाने तथा मानसिक रोगियों के उपचार में उनके द्वारा कही गई ऊल-जलूल बातों का विश्लेषण करने आदि में भाषाविज्ञान की क्षेत्र में प्रयुक्त पारिभाषिक शब्दावली और अभिव्यक्तियों का अनुवाद करते समय अनुवादक के सामने समस्या उत्पन्न हो सकती है.
मनोवैज्ञानिक क्षेत्र में भाषा का विशिष्ट प्रयोग
मनोवैज्ञानिक क्षेत्र की विशिष्टता यह है कि उसमें जो प्रचलित तकनीकी शब्द और अभिव्यक्तियाँ हैं उन्हीं का प्रयोग किया जाता है. अतः अनुवादक के लिए यह अनिवार्य है कि वह इस विशिष्ट भाषा-प्रयोग की जानकारी रखता हो, अन्यथा उसके लिए इसे समझना दुष्कर हो जाएगा.
नवनिर्मित तथा अनूदित शब्द
अंग्रेज़ी पारिभाषिक शब्दों का अनुवाद भारतीय भाषा या हिंदी में करना वांछनीय है क्योंकी अंग्रेज़ी में प्रयुक्त शब्दों का अर्थ सामान्य भारतीय कम जानते हैं. अर्थात् उनमें पारदर्शिता का अभाव रहता है. किंतु हिंदी में गढ़े जानेवाले शब्दों का एक सुनिश्चित आश्रय लेना उपयुक्त है, चूँकि संस्कृत में प्रजनन शक्ति (Generative Power) है. संस्कृत धातुओं में उचित उपसर्ग और प्रत्यय जोड़कर हजारों पारिभाषिक शब्दों का निर्माण किया जा सकता है.
Mind - मन / मनसConscious - चेतनSubconscious - अवचेतन / अर्धचेतनUnconscious - अचेतनPsychology - मनोविज्ञानPsychoanalysis - मनोविश्लेषणPsychiatry - मनोचिकित्साPsychiatrist - मनोचिकित्सकAbnormal Psychology - असामान्य मनोविज्ञानIndividual Psychology - वैयक्तिक मनोविज्ञानSex - यौनLibido - कामवृत्तिEgo - अहम्Super Ego - पराहम्Complex - कुंठा / ग्रंथि / मनोग्रंथिInferiority Complex - हीनताग्रंथिSuperiority Complex - उच्चताग्रंथि
ग्रहीत शब्द
Eros - एरोजThenetos - थेनेटोसOedipus - इडीपसElectra - इलेक्ट्राSex - सेक्सLibido - लिबिडोHisteria - हिस्टीरियाPsychoneurotic - सैकोन्यूरोटिकDeath Instinct - डेथ इंसटिंक्ट
अनुकूलित शब्द
Id - इद / इदम्
संकर शब्द
Super Ego - सुपराहम्
अर्थ आधारित अनुवाद
अर्थ या भाव को ध्यान में रखकर निर्मित शब्द -
Oedipus - मातृरतिElectra - पितृरतिEros - जीवनवृत्तिThenetos - मृत्युवृत्तिLibido - कामवृत्तिHisteria - मनोरोगHisteric Patient - मनोरोगी
इस प्रकार स्पष्ट है कि तकनीकी क्षेत्र होने के कारण मनोवैज्ञानिक पाठ का अनुवाद करने के लिए पारिभाषिक शब्दावली और अभिव्यक्तियों के ज्ञान की विशेष अपेक्षा होती है. यह भी ध्यान रखने की बात है कि यथासंभव इन पाठों के अनुवाद का पाठधर्मी होना श्रेयस्कर है
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